Modi ने उस बुराई को ही बना लिया हथियार, जिसे खत्म करने पर ठोकी थी अपनी पीठ
सरकार कमाई के
लिए एक ऐसी
बुराई को अपना
हथियार बनाने जा रही
है, जिसे खत्म
करने के लिए
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद
अपनी पीठ ठोकी
थी। दरअसल जीएसटी
काउंसिल की अगली
मीटिंग में चीनी
पर सेस लगाने
का मुद्दा रखा
जा सकता है।
सेस के माध्यम
से मिली धनराशि
को गन्ने की
पेराई पर दी
जाने वाली सब्सिडी
चुकाने में इस्तेमाल
किया जा सकता
है। दरअसल जुलाई,
2017 में जीएसटी लागू होने
के साथ ही
कई सेस खत्म
हो गए थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने
जीएसटी लागू होने
के बाद कहा
था कि इससे
टैक्स स्ट्रक्चर आसान
होने जा रहा
है। इससे कई
सेस खत्म हो
जाएंगे।
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चीनी मिलों और किसानों को होगा फायदा
इस घटनाक्रम की जानकारी
रखने वाले दो
अधिकारियों ने कहा
कि अभी तक
मीटिंग का औपचारिक
एजेंडा नहीं मिला
है, लेकिन राज्यों
को इस विषय
पर चर्चा के
बारे में बता
दिया गया है।
दरअसल चीनी की
कीमतें काफी गिर
चुकी हैं और
चीनी मिलों के
लिए कॉस्ट की
भरपाई करना भी
मुश्किल हो रहा
है। इससे किसानों
की गन्ना बकाया
की समस्या भी
बढ़ती जा रही
है। माना जा
रहा है कि
सेस लगाकर सरकार
किसानों और चीनी
मिलों की समस्या
को कम करेगी।
जीएसटी लागू होने
के
बाद
खत्म
हुआ
सेस
इससे पहले सरकार ने चीनी मिलों पर प्रति क्विंटल 124 रुपए का सेस लगाया था, जिसका बोझ कंज्यूमर्स पर डाला गया था। सेस के माध्यम से मिली रकम को फूड मिनिस्ट्री द्वारा मैनेज किए जा रहे शुगर डेवलपमेंट फंड में जाता है, जिसे मिलों के आधुनिकीकरण और विस्तार में इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि अब सेस लागू नहीं है, क्योंकि जुलाई में गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स रेजीम लागू होने के साथ ही अधिकांश इनडायरेक्ट टैक्स उसी में मिल गए थे।
इससे पहले सरकार ने चीनी मिलों पर प्रति क्विंटल 124 रुपए का सेस लगाया था, जिसका बोझ कंज्यूमर्स पर डाला गया था। सेस के माध्यम से मिली रकम को फूड मिनिस्ट्री द्वारा मैनेज किए जा रहे शुगर डेवलपमेंट फंड में जाता है, जिसे मिलों के आधुनिकीकरण और विस्तार में इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि अब सेस लागू नहीं है, क्योंकि जुलाई में गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स रेजीम लागू होने के साथ ही अधिकांश इनडायरेक्ट टैक्स उसी में मिल गए थे।
जीओएम ने दिया
प्रस्ताव
हाल में एक ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स ने चीनी की कीमतों को सपोर्ट देने और गन्ना बकाये में कमी लाने में मदद करने के लिए आउटपुट लिंक्ड सब्सिडी और चीनी पर सेस लगाने का प्रस्ताव किया था।
हाल में एक ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स ने चीनी की कीमतों को सपोर्ट देने और गन्ना बकाये में कमी लाने में मदद करने के लिए आउटपुट लिंक्ड सब्सिडी और चीनी पर सेस लगाने का प्रस्ताव किया था।
रिकॉर्ड प्रोडक्शन से
कीमतों
पर
बढ़ा
प्रेशर
एक साल पहले की तुलना में इस सीजन में प्रोडक्शन 1 करोड़ टन बढ़कर 3.1 करोड़ टन के रिकॉर्ड हाई पर पहुंचने के बाद चीनी की थोक कीमतें 28 महीने के लो पर पहुंच गई थी। सरकार ने सरप्लस से निजात पाने के वास्ते मिलों के लिए चीनी का एक्सपोर्ट अनिवार्य कर दिया है। हालांकि ग्लोबल मार्केट में चीनी की कीमतों पर प्रेशर बना हुआ है, ऐसे में शुगर इंडस्ट्री एक्सपोर्ट पर सरकार से सब्सिडी की मांग कर रही है।
एक साल पहले की तुलना में इस सीजन में प्रोडक्शन 1 करोड़ टन बढ़कर 3.1 करोड़ टन के रिकॉर्ड हाई पर पहुंचने के बाद चीनी की थोक कीमतें 28 महीने के लो पर पहुंच गई थी। सरकार ने सरप्लस से निजात पाने के वास्ते मिलों के लिए चीनी का एक्सपोर्ट अनिवार्य कर दिया है। हालांकि ग्लोबल मार्केट में चीनी की कीमतों पर प्रेशर बना हुआ है, ऐसे में शुगर इंडस्ट्री एक्सपोर्ट पर सरकार से सब्सिडी की मांग कर रही है।
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