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देश का विदेशी मुद्रा भंडार गत 22 फरवरी को समाप्त सप्ताह में लगातार दूसरे सप्ताह की बढ़त दर्ज करता हुआ 94.47 करोड़ डॉलर बढ़कर 399.21 अरब डॉलर पर पहुंच गया। इससे पहले गत 15 फरवरी को समाप्त सप्ताह में यह 15 करोड़ दो लाख डॉलर बढ़कर 398.27 अरब डॉलर रहा था।
रिजर्व बैंक ने जारी किए आंकड़े
रिजर्व बैंक की ओर से शुक्रवार को जारी विदेशी मुद्रा भंडार के आकंड़ों के अनुसार,15 फरवरी को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा का सबसे बड़ा घटक विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति 92.86 करोड़ डॉलर बढ़कर 371.99 अरब डॉलर पर पहुँच गयी। स्वर्ण भंडार भी 22.76 अरब डॉलर पर स्थिर रहा। आलोच्य सप्ताह में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के पास आरक्षित निधि 1.08 करोड़ डॉलर बढ़कर 2.99 अरब डॉलर और विशेष आहरण अधिकार 53 लाख डॉलर की बढ़त के साथ 1.46 अरब डॉलर पर पहुंच गया।
विदेशी मुद्रा भंडार
दुनिया के लगभग हर देश को अपने यहां आयात की जरूरतों के लिए विदेशी मुद्रा भंडार बनाना होता है, क्योंकि विदेशी से सामग्री मंगाने के लिए डॉलर, येन, यूरो जैसी मुद्राओं का स्टॉक होना जरूरी है। इनका संग्रह ही विदेशी मुद्रा भंडार है, जिसे देश का केंद्रीय बैंक, भारत में रिजर्व बैंक संभालता है। आम तौर पर निर्यातक जो विदेशी मुद्रा लाते हैं, वह बैंकों से रुपये की अदला बदली के जरिेये विदेशी मु्द्रा भंडार में पहुंचती हैं। शेयर बाजार में निवेश और विदेशी कंपनियों के भारत में निवेश भी विदेशी मुद्राओं में होते हैं। यह डॉलर, यूरो, येन भी रुपये से बदले जाते हैं और विदेशी मुद्रा भंडार में शामिल होते हैं। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार में बड़ा हिस्सा अमेरिकी डॉलर का है इसके अलावा यूरो व दूसरी मुद्रायें भी हैं। मुद्राओं की विनियम दर घटने या बढ़ने से विदेशी मुद्रा भंडार का मूल्य भी घटता बढ़ता है। इनके अलावा हर देश के पास संकट के समय इस्तेमाल के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से विदेशी मुद्रा लेने के अधिकार होते हैं। जिन्हें स्पेशल ड्राइंग राइट्स यानी एसडीआर कहा जाता है। यह अधिकार भी विदेशी मुद्रा भंडार में गिने जाते हैं।
कैसे घटता बढ़ता है विदेशी मुद्रा भंडार
यदि देश में डॉलरों की आवक ज्यादा है तो विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़त दिखती है लेकिन यदि डॉलर देश से बाहर जा रहे हैं तो इसमें गिरावट आएगी। निर्यातक व आयातकों की मांग आपूर्ति से भंडार में कमी या बढ़त होती है। लेकिन अब शेयर बाजार में निवेश की आवाजाही भी इसे प्रभावित करतीे है। भंडार एक सीमा से अधिक नीचे जाना घरेलू मुद्रा की ताकत कमजोर करता है।
मॉनेटरी रिजर्व
विदेशी मुद्रा भंडार के साथ अगर सोने व चांदी का सरकारी भंडार भी जोड़ लिया जाए, तो यह पूरी व्यवस्था मॉनेटरी रिजर्व कही जाती है।
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